तकदीरें बदल जाती हैं जब ज़िंदगी का कोई मकसद हो,
वरना ज़िंदगी कट ही जाती है तकदीरों को इल्ज़ाम देते देते!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तकदीरें बदल जाती हैं जब ज़िंदगी का कोई मकसद हो,
वरना ज़िंदगी कट ही जाती है तकदीरों को इल्ज़ाम देते देते!
सरेआम न सही फिर भी रंजिश सी निभाते है..
किसी के कहने से आते किसी के कहने से चले जाते..
न रूठना हमसे हम मर जायेंगे!
दिल की दुनिया तबाह कर जायेंगे!
प्यार किया है हमने कोई मजाक नहीं!
दिल की धड़कन तेरे नाम कर जायेंगे!
सिसकना,भटकना,और फिर थम जाना…. बहुत तकलीफ देता है, खुद ही संभल जाना…
ये खुली-खुली सी जुल्फें, इन्हें लाख तुम सँवारो,….
जो मेरे हाथ से सँवरतीं, तो कुछ और बात होती!!
जो आने वाले हैं मौसम, उन्हें शुमार में रख…
जो दिन गुज़र गए, उन को गिना नहीं करते…
हर शख्श नहीं होता अपने चेहरे की तरह,
हर इंसान की हकिकत उसके लहजे बताते है..
तेरे शहर में आने को हर कोई तरसता है
लेकिन वो क्या जाने
वहां कोई नही पहुँचता है
जो पहुँचता है
वो तुझसा ही होकर
कोई खुद सा वहां कब पहुँचता है
ये तो कुछ शब्दों का भ्रम जाल है इन मंदिर में रखी किताबो का
जो हर कोई तुझसे मिलने को तरसता है
खुल जाए अगर भ्रम काबा-ए-काशी
तो कौन फिर जान कर सूली पे चढ़ता है
वो जो शराब है तेरी
जिसे कहते मोहब्बत
पीने के बाद ही पतंगा
शमा पे मरता है
यूँ ही कोई क़ैस कहा लैला पे मरता है
जान कर
कोई कहाँ
सूली पे चढ़ता है ….
उस को भी हम से मोहब्बत हो ज़रूरी तो नहीं,
इश्क़ ही इश्क़ की कीमत हो ज़रूरी तो नहीं।
कहाँ तलाश करोगे तुम दिल हम जैसा..,
जो तुम्हारी बेरुखी भी सहे और प्यार भी करे…!!