तेरी मौहब्बत से ले कर तेरे अलविदा कहने तक,
मैंने सिर्फ तुझे चाहा,
तुझ से कुछ नहीं चाहा |
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तेरी मौहब्बत से ले कर तेरे अलविदा कहने तक,
मैंने सिर्फ तुझे चाहा,
तुझ से कुछ नहीं चाहा |
देख ज़िन्दगी इस तरह ना रुला मुझे,
मै खफा हुआ तो छोड़ दूँगा तुझे भी…!!!
हैरान कर दिया उसने आँसुओं की वजह पूछ कर,
जो शक़्स कभी मुझको मुझसे ज़्यादा जानता था…!!!
नींद में भी गिरते हैं मेरी आँख से आंसू
जब भी तुम ख्वाबों में मेरा हाथ छोड़ देती हो..
तू उदास न रहा कर तुझे वास्ता है हमारा ,
एक तेरा ही चेहरा देख कर तो हम अपना गम भुलाते हैं…!!!
वाह रे दोगले समाज क्या तेरी सोच हैं…
पैसे वाले की बेटी..
रात के आठ बजे कही जाए..
तो “चलन” है…!
गरीब की बेटी…
अगर उसी वक्त पर डयूटी से आए..
तो “बदचलन” है..!!
जिस जिस को मिली खबर सबने एक ही सवाल किया…
तुमने क्यों की मुहब्बत तुम तो समझदार थे…
सस्ता सा कोई इलाज़ बता दो इस मोह्ब्बत का ..!
“एक गरीब इश्क़ कर बैठा है इस महंगाई के दौर मैं”
जो मिलते हैं वो बिछड़ते भी हैं साहिब,
हम नादान थे … एक शाम की मुलाकात को ..
जिंदगी समझ बैठे ..
किसको बताएं कब से हम ज़िन्दगी के राही
फूलों की आरज़ू में काँटों पे चल रहे हैं