सज़ा-ए-मौत

कुछ लोग सिखाते है मुझे प्यार के क़ायदे कानून,

नही जानते वो इस गुनाह में हम सज़ा-ए-मौत के मुज़रिम हैं…….

गुजर रही है

गुजर रही है जिन्दगी जिक्र हे खुदा से गाफिल,
ए दिल ए नादां सम्भल जा ज़रा के मौत का कोई वक्त नही.