आसमान से जो फ़रिश्ते उतारे जाये
वो भी इस दौर में सच बोले तो मरे जाये|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
आसमान से जो फ़रिश्ते उतारे जाये
वो भी इस दौर में सच बोले तो मरे जाये|
हर किसी के आगे यूँ खुलता कहाँ है अपना दिल
सामने दीवानों को देखा तो दीवाना खुला
वैसे तो बहुत है मेरे पास, कहानियों के किस्से…
पर खत्म हुए किस्सों में, खामोशियाँ ही बेहतर…
तेरे वादे तु ही जाने. मेरा तो आज भी वही कहना है ,
*जिस दिन साँस टूटेगी उस दिन ही तेरी आस छूटेगी|
देखा है क़यामत को,मैंने जमीं पे
नज़रें भी हैं हमीं पे,परदा भी हमीं से|
माना कि मोहब्बत बेइंतहा है आपसे…
पर क्या करें, थोड़ा सा इश्क़ खुद से भी है हमें.. ।।
आदमी सुनता है मन भर ,
सुनने के बाद प्रवचन देता है टन भर,,”
और खुद ग्रहण नही करता कण भर।
ए जिंदगी तेरे जज्बे को सलाम..
पता है मंज़िल मौत है फिर भी दौड़ रही है..
लाजमी नही है की हर किसी को मौत ही छूकर निकले “”
किसी किसी को छूकर जिंदगी भी निकल जाती है ||
कितने खुबसूरत हुआ करते थे बचपन के वो दिन….
के सिर्फ दो उंगलिया जुडने से दोस्ती फिर शुरू हो
जाती थी….