बारिश में रख दो

बारिश में रख दो इस जिंदगी के पन्नों को,
कि धुल जाए स्याही,
ज़िन्दगी तुझे फिर से लिखने का
मन करता है कभी- कभी।।

इतनी शिद्दत से

काईनात में कोई इतनी शिद्दत से किसी का इंतेजार नहीं करता

जितना अल्लाह अपने बंदे की तौबा का करता है

काईनात में कोई

काईनात में कोई इतनी शिद्दत से

किसी का इंतेजार नहीं करता
जितना अल्लाह अपने बंदे की

तौबा का करता है

टूट जाते हैं

इलाही क्या इलाक़ा है वो जब लेते हैं अंगड़ाई

मिरे ज़ख़्मों के सब टाँके अचानक टूट जाते हैं