किसी और का हाथ कैसे थाम लूँ,
वो तन्हा मिल गया कभी तो क्या जवाब दूँगा…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
किसी और का हाथ कैसे थाम लूँ,
वो तन्हा मिल गया कभी तो क्या जवाब दूँगा…!!
वो अब भी आती है ख्वाबों में मेरे,
ये देखने की मैं उसे भूला तो नहीं !!
तू जिस दिन करेगा याद मेरी मोहब्बत को,
बहुत रोयेगा उस दिन खुद को बेवफा कह के !!
कभी पास बैठ कर गुजरा तो कभी दूर रह कर गुजरा,
लेकिन तेरे साथ जितना भी वक्त गुजरा बहुत खूबसूरत गुजरा|
सच को तमीज़ नहीं बात करने की..
जुठ को देखो कितना मीठा बोलता है ।
एहसान जताने का हक भी हमने दिया उन्हे साहिब,
और करते भी तो क्या करते,प्यार था हमारा कैदी नहीं था…
खामोश रहती है वो तितली जिसके रंग हज़ार है…
और शोर करता रहा वो कौवा, ना जाने किस गुमान पर…
उसने जी भर के मुझको चाहा था…,
फ़िर हुआ यूँ कि उसका जी भर गया।
ख़ामोश सा शहर और गुफ़्तगू की आरज़ू,
हम किससे करें बात कोई बोलता ही नहीं…
जुड़ना सरल है…
पर
जुड़े रहना कठिन….