यूँ सामने आकर
ना बैठा करो,
सब्र तो सब्र है,
हर बार नही होता!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
यूँ सामने आकर
ना बैठा करो,
सब्र तो सब्र है,
हर बार नही होता!!!
क्या खबर थी के चलेगी कभी ऐसी भी हवा…
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खुश्क पत्तों की तरह दोस्त बिखर जाएंगे…
आदमी सुनता है मन भर ,,
सुनने के बाद प्रवचन देता है टन भर,,”
और खुद ग्रहण नही करता कण भर।
ये न पूछ के शिकायतें कितनी है तुझसे
ये बता के तेरा और कोई सितम बाकी तो नहीं …!!
ए जिंदगी तेरे जज्बे को सलाम..
पता है मंज़िल मौत है फिर भी दौड़ रही है..
अर्थ लापता हैं…या फिर शायद…लफ्ज़ खो गए हैं,
रह जाती है…मेरी हर बात क्यूँ,
इरशाद होते होते…..
समझा जिसे सिर्फ इक दिल का सौदा,
वो इश्क़ तो पूरा कारोबार निकला ।।
लाजमी नही है की हर किसी को
मौत ही छूकर निकले
किसी किसी को छूकर
जिंदगी भी निकल जाती है !!!!
कोई बदल दो वफ़ा के सिक्के मेरे..
सुना है इस दौर में ये सब नही चलते ।।
चंद लफ़्ज़ों की तक्कल्लुफ़
में ये इश्क़ रुक गया….
वो इंतज़ार पे रुके रहे और
मैं इक़रार पे रुक गया ।।