चाँदनी रातों में

चाँदनी रातों में कुछ भीगे ख्यालों की तरह,
मैने चाहा है तुम्हें दिन के उजालों की तरह,
गुजरे थे जो कुछ लम्हें तुम्हारे साथ,
मेरी यादों में चमकते हैं वो सितारों की तरह

ज़ख़्म इतने गहरे है

ज़ख़्म इतने गहरे है हमको मालूम ना था

हम खुदी पर वार करते रहे यह ख़याल ना था

खुद ही लाश बन गये इस ख़याल से के जनाज़े पे

वो मेरे आएँगे अब इस से ज़्यादा उनके

दीदार का इंतिज़ार क्या करे|