काश वो आकर कहे,
एक दिन मोहब्बत से……!!
ये बेसब्री कैसी ?
तेरी हूँ, तसल्ली रख…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
काश वो आकर कहे,
एक दिन मोहब्बत से……!!
ये बेसब्री कैसी ?
तेरी हूँ, तसल्ली रख…!!
क्या गलतियां की हमने
कभी नहीं बताया उन्होंने…
बस प्यार घटता गया फासले बढ़ते गए ….
मैनें बस उसको पाने
कि जिद कि थी ….
खुद को खोने का
कोई ईरादा नही था ….
कीजिए फ़ैसला..एहसान नहीं..
अगर मैं बर्दाश्त नहीं..!!
मेरे लफ़्ज़ों को अब भी
नशा है तुम्हारा …
निकल कर ज़हन से,
कागज़ों पर गिर पड़ते हैं …
कुछ बाते उससे छुपायीं थी …
और कुछ कागज़ों को बतायीं थी …
कहीं तुम भी न बन जाना किरदार किसी
किताब का लोग बड़े शौक से पड़ते है
कहानिया बेवफाओं की….
आज आशिक़ों की महफ़िल
एक साथ बैठी है..!!
पता नई कितनो का दिल तोड़ेगी…
तेरी गली का सफर आज भी याद है मुझे..
मैं कोई वैज्ञानिक नही था,
पर मेरी “खोज” लाजवाब थी…
मुझे ऐसा मरना है जैसे,
लिखते लिखते स्याही
खत्म हो जाये…