हंसने की दुआ दी है …

ये कैसी कसक बांके मेरे दिल को लगा दी है मैंने रो रो कर तुम्हे हंसने की दुआ दी है …

मैं इस तलाश में

मैं इस तलाश में बरसों से सो नहीं पाया के मेरी नींद न जाने कहाँ पे रखी है|

चले गये तो

चले गये तो पुकारेगी हर सदा हमको, न जाने कितनी ज़बानों से हम बयां होंगे|

एक फूल अजीब था

एक फूल अजीब था, कभी हमारे भी बहुत करीब था, जब हम चाहने लगे उसे, तो पता चला वो किसी दूसरे का नसीब था|

मुहब्बत मुक़म्मल होती तो

मुहब्बत मुक़म्मल होती तो ये रोग कौन पालता … अधूरे आशिक़ ही तो शायर हुआ करते हैं…

बहुत दिनों से

बहुत दिनों से जिन्हें ओढ़ा नहीं है कल उन रिश्तों को धूप दिखाने का मन है…

कुछ दरमियाँ नहीं

कुछ दरमियाँ नहीं है गर तेरे मेरे तो ये बेचैनियाँ क्यूँ हैं? लौट आओ कि कुछ रिश्ते बेरुखी से भी नहीं टूटा करते|

मिलती है मौजूदगी

मिलती है मौजूदगी उस खुदा की उसको जिसने जर्रे जर्रे में ,क़तरे क़तरे में तलाशा है उसको ।

लफ़्ज़ों की गुजरिशो में

लफ़्ज़ों की गुजरिशो में ना उलझ मंज़र…. हर गुजारिश की आरज़ू जायज़ नही होती

मिलने को तो

मिलने को तो दुनिया में कई चेहरे मिले, पर तुम सी मोहब्बत तो हम खुद से भी न कर पाये !!

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