वो एक रात जला……

वो एक रात जला……. तो उसे चिराग कह दिया !!! हम बरसो से जल रहे है ! कोई तो खिताब दो .!!!

बहते पानी की तरह

बहते पानी की तरह है फितरत- ए-इश्क, रुकता नहीं,थकता नहीं,थमता नहीं, मिलता नहीं…

छत कहाँ थी

छत कहाँ थी नशीब में, फुटपाथ को जागीर समझ बैठे। गीले चावल में शक्कर क्या गिरी ,बच्चे खीर समाज बैठे।

काश तुम कभी ज़ोर से

काश तुम कभी ज़ोर से गले लगाकर। कहो डरते क्यों हो पागल। मैं तुम्हारी तो हु।

मुझे मेरे अंदाज मे

मुझे मेरे अंदाज मे ही चाहत बयान करने दे…. बड़ी तकलीफ़ से गुजरोगे जब ….. तुझे तेरे अंदाज़ में चाहेंगे……

इस तरह तुमने

इस तरह तुमने मुझे छोड़ दिया जैसे रास्ता कोई गुनाह का हो..

प्यार की फितरत भी

प्यार की फितरत भी अजीब है यारों….. जो रुलाते हैं बस उन्हीं को गले लगाकर रोने का दिल करता है।।

हर धड़कते पत्थर को

हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में…

कभी जो काटती थी

कभी जो काटती थी नोचती थी शाम से मुझको, कलम से मैं उन्ही तन्हा‌इयों की बात करता हूँ..

उससे खफा होकर

उससे खफा होकर भी देखेंगे एक दिन, कि उसके मनाने का अंदाज़ कैसा है..

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