मोहब्बत यूँ ही किसी से हुआ नहीं करती,
अपना वजूद भूलाना पडता है,किसी को अपना बनाने के लिए.
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मोहब्बत यूँ ही किसी से हुआ नहीं करती,
अपना वजूद भूलाना पडता है,किसी को अपना बनाने के लिए.
कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए जमाने की,
हर आँख मेरी तरह मोहब्बत की नही होती….!!!
माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती…
यहाँ आदमी आदमी से जलता है…!!
हम ईंट-ईंट को दौलत से लाल कर देते,
अगर ज़मीर की चिड़िया हलाल कर देते।
किसी भी पेड़ के कटने का आज क़िस्सा न होता,
अगर कुल्हाड़ी के पीछे लकड़ी का हिस्सा न होता…!!
जनाब मत पूछिये हद हमारी गुस्ताकियो की…
हम आईना जमी पर रखकर आसंमा कुचल देते है
हजारों चेहरों में,एक तुम ही थे जिस पर हम मर मिटे वरना..
ना चाहतों की कमी थी,और ना चाहने वालों की…!!
औकात क्या है तेरी, “ए जिँदगी”
चार दिन कि मुहोब्बत
तुझे तबाह कर देती है…..iii
हम भी फूलों की तरह कितने बेबस है,
कभी खुद टूट जाते हैं तो कभी लोग तोड ले जाते हैं…!!!
हज़ारो मैं मुझे सिर्फ़ एक वो शख्स चाहिये ,
जो मेरी ग़ैर मौजूदगी मैं, मेरी बुराई ना सुन सके !!