मुमकिन नहीं है हर रोज मोहब्बत के नए किस्से लिखना,
मेरे दोस्तों अब मेरे बिना अपनी महफ़िल सजाना सीख लो।
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हम ने भी कह दिया
हम ने भी कह दिया उनसे की बहुत हो गयी जंग बस..
बस ए मोहब्बत तुझे फ़तेह मुबारक मेरी शिक्स्त हुई।
तुमसे ऐसा भी
तुमसे ऐसा भी क्या रिश्ता हे?
दर्द कोई भी हो.. याद तेरी ही आती हे।
कहीं फिसल न जाऊं
कहीं फिसल न जाऊं तेरे ख्यालों में चलते चलते,
अपनी यादों को रोको मेरे शहर में बारिश हो रही है !!
इश्क है या इबादत..
इश्क है या इबादत.. अब कुछ समझ नहीं आता,
एक खुबसूरत ख्याल हो तुम जो दिल से नहीं जाता.
आईना आज फिर
आईना आज फिर रिशवत लेता पकडा गया,
दिल में दर्द था ओर चेहरा हंसता हुआ पकडा गया|
वो दुआएं काश
वो दुआएं काश मैने दीवारों से मांगी होती,
ऐ खुदा.. सुना है कि उनके तो कान होते है!!
निगाहों से भी
निगाहों से भी चोट लगती है.. जनाब..
जब कोई देख कर भी अन्देखा कर देता है..!!
मौत कहाँ मर गयी..
खुदा जाने ये मौत कहाँ मर गयी..
अब मुझे जिंदगी की ज़रूरत नही है..!!
जान पहचान के
जान पहचान के लोगों में भी पहचान नहीं
कैसी फैली है यहाँ बेरुखी कूचा-कूचा..