बदलना आता नहीं

बदलना आता नहीं हमे मौसम की तरह,
हर इक रुत में तेरा इंतज़ार करते हैं,
ना तुम समझ सकोगे जिसे क़यामत तक,
कसम तुम्हारी तुम्हे हम इतना प्यार करते हैं|

तेरे हर ग़म को

तेरे हर ग़म को अपनी रूह में उतार लूँ;

ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ;

मुलाक़ात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी;

सारी उम्र बस एक मुलाक़ात में गुज़ार लूँ।

तेरे हर ग़म को

तेरे हर ग़म को अपनी रूह में उतार लूँ;

ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ;

मुलाक़ात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी;

सारी उम्र बस एक मुलाक़ात में गुज़ार लूँ।

जो कभी किया ना

जो कभी किया ना असर शराब ने,

वो तेरी आँखों वे कर दिया,

सजा़ देना तो मेरी मुठ्ठी मे थी,

मुझे हि कैद तेरी सलाखों ने कर दिया ..

आ थक के कभी

आ थक के कभी और, पास मेरे बैठ तू हमदम
. . . तू खुद को मुसाफ़िर, मुझे दीवार समझ ले ।