तेरी शब मेरे नाम हो जाये
नींद मुझ पर हराम हो जाये
लौट आता है घर परिन्दा भी
इससे पहले कि शाम हो जाये
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तेरी शब मेरे नाम हो जाये
नींद मुझ पर हराम हो जाये
लौट आता है घर परिन्दा भी
इससे पहले कि शाम हो जाये
मेरी हर बात का जवाब रखते हो तुम
क्या साथ में कोई किताब रखते हो तुम
मैं बंद आंखों से उसको देखता हूं
हमारे बीच में पर्दा नहीं है|
ये सोच कर की शायद वो खिड़की से झाँक ले..
ज़िंदगी के दो पड़ाव
अभी उम्र नहीं है
अब उम्र नहीं है ।
जब हौसला बना लिया ऊँची उड़ान का…
फिर देखना फिज़ूल है कद आसमान का…
अब मौत से कह दो कि नाराज़गी खत्म कर ले,
वो बदल गयी है जिसके लिए हम ज़िंदा थे।
चंद ख़ामोश ख्याल और तेरी बातें,ख़ुद से गुफ़्तगू में गुज़र जाती है रातें ….
ख़्वाब टूटे हैं मगर हौंसले तो ज़िंदा हैं
हम वो शै है जहाँ मुश्किलें शर्मिंदा हैं।
आग लगे तो शायद अंधेरा पिघले
तेरी चिता की कोख से जब सूरज निकले।