बेताबी उनसे मिलने की इस क़दर होती है
हालत जैसी मछली की साहिल पर होती है
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बिन तुम्हारे कभी
बिन तुम्हारे कभी नही आयी क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है
अब जी के बहलने की
अब जी के बहलने की है एक यही सूरत बीती हुई कुछ बातें हम याद करें फिर से
किस जगह रख दूँ
किस जगह रख दूँ मैं तेरी याद के चराग़ को
कि रोशन भी रहूँ और हथेली भी ना जले।
ना तोल मेरी मोहब्बत
ना तोल मेरी मोहब्बत अपनी दिल लगीं से,
देख कर मेरी चाहत को तराजू टूट जाते हैं
बद्दुआये नहीं देता
बद्दुआये नहीं देता फकत इतना ही कहता हूँ..
के जिस पर आ जाएँ दिल तेरा वो बेवफ़ा निकले..
बदल जाती हो तुम …
बदल जाती हो तुम ….. कुछ पल साथ बिताने के
बाद……
यह तुम मोहब्बत करती हो या नशा…
पहले ढंग से
पहले ढंग से तबाह तो हो ले…..
मुफ़्त में उसे भूल जाएँ क्या …?
बेताबी उनसे मिलने की
बेताबी उनसे मिलने की इस क़दर होती है
हालत जैसी मछली की साहिल पर होती है
चेहरे और पोशाक
चेहरे और पोशाक से आँकती है दुनिया,
रूह में उतर कर कब झाँकती है दुनिया।