कुछ इस तरह से
मेरी वो फिकर करता है
अनजान बनकर ही सही
पर मेरा जिकर करता है|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कुछ इस तरह से
मेरी वो फिकर करता है
अनजान बनकर ही सही
पर मेरा जिकर करता है|
ज़िंदगी के ये सवालात कहाँ थे पहले,
इतने उलझे हुए हालात कहाँ थे पहले..
तू डूबने से यकीनन मुझे बचा लेगा,
मगर तेरा एहसान मार डालेगा..
मैं तो हर पल ख़ुशी देती हूँ तुम्हें,
तुम ये गम लाते कहाँ से हो।।
हुस्न वाले जब तोड़ते हैं दिल किसी का,
बड़ी सादगी से कहते है मजबूर थे हम।।
ना जाने कौनसी दवा है उसके पास,
कुछ पल साथ गुजार लूं तो सुकून सा मिलता है।।
जब मैं लिखूँगा दास्ताने जिदंगी तो,
सबसे अहम किरदार तुम्हारा ही होगा।
यकीनन इश्क़ लाजवाब है,
पर तुम से थोडा कम है।।
चल हो गया फ़ैसला कुछ कहना ही नहीं,
तू जी ले मेरे बग़ैर मुझे जीना ही नहीं।।
एक बात पूछें तुमसे..
जरा दिल पर हाथ रखकर फरमायें..
जो इश्क़ हमसे शीखा था ..
अब वो किससे करते हो |