यूँ तो ए-ज़िन्दगी, तेरे सफर से शिकायते बहुत थी, मगर “दर्द” जब “दर्ज” कराने पहुँचे तो “कतारे” बहुत थी।
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पगली मुझे कहनी है
पगली मुझे कहनी है तुमसे बस एक बात,
दास्तान लबों से सुनोगी या निगाहों से !!
उसे भी सरबुलंदी पर
उसे भी सरबुलंदी पर हमेशा नाज़ रहता है,
हमें भी आसमानों को ज़मीं करने की आदत है !
मुझसे मिलने को
मुझसे मिलने को आप आये हैं ?
बैठिये, मैं बुला के लाता हूँ |
सहम उठते हैं
सहम उठते हैं कच्चे मकान, पानी के खौफ़ से,
उधर महलों की आरज़ू ये है कि, बरसात और तेज हो!!
मैं अपनी ताकते
मैं अपनी ताकते इन्साफ खो चुका वर्ना
तुम्हारे हाथ मै मेरा फैसला नही होता..
मैं तुझे चांद कह दूं
मैं तुझे चांद कह दूं ये मुमकिन तो है मगर
लोग तुझे रात भर देखें ये गवारा नहीं मुझे|
बहुत शौक है
बहुत शौक है न तुझे ‘बहस’ का
आ बैठ… ‘बता मुहब्बत क्या है’..!!
अब सजा दे ही चुके
अब सजा दे ही चुके हो तो हाल ना पूछना मैं अगर बेगुनाह निकला तो तुम्हें अफसोस बहुत होगा..
तुम्हे गुरुर ना हो जाये
तुम्हे गुरुर ना हो जाये हमे बर्बाद करने का
इसीलिए सोचा हमने महफ़िल में मुस्कुराने का..