जीब मुकाम पे ठहरा हुआ है काफिला जिंदगी का,
सुकून ढूंढने चले थे,नींद ही गवा बैठे..
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इश्क़ वो है
इश्क़ वो है,
जब मैं शाम होने पर मिलने का वादा करूँ,
और वो दिन भर सूरज के होने का अफ़सोस करे…..
चाहतों के सारे
चाहतों के सारे समंदर डूब जाते है इसमें
मान लू कैसे ये आँसू जरा सा पानी है।।
जब भी हम
जब भी हम किसी को कहने अपने गम गए ।
होठों तक आते आते, अल्फाज जम गए ।
जुल्म के सारे
जुल्म के सारे हुनर हम पर यूँ आजमाये गये…
जुल्म भी सहा हमने और जालिम भी कहलाये गये !!
मेरे दुश्मन कहते हे
मेरे दुश्मन कहते हे…..तेरे पास ऐसा क्या हे जिससे
तेरे नाम का चर्चा है…
मेने भी कह दिया की भाई दिल नरम और दिमाग गरम
है….
आसमाँ भर गया
आसमाँ भर गया परिंदो से,
पेड़ कोई हरा गिरा होंगा..!!!
फरेबी भी हूँ
फरेबी भी हूँ ज़िद्दी भी हूँ और पत्थर दिल भी हूँ…..!!!!
मासूमियत खो दी है मैंने वफ़ा करते-करते……!!!!!
हल्की-फुल्की सी है
हल्की-फुल्की सी है जिंदगी…
बोझ तो ख्वाहिशों का है…
ईश्क की गहराईयों मे
ईश्क की गहराईयों मे मौजूद क्या है…
बस मैं हूँ,तुम हों,और कुछ की जरूरत क्या है…