मेरा है मुझमें

अलग दुनिया से हटकर भी कोई दुनिया है मुझमें,
फ़क़त रहमत है उसकी और क्या मेरा है मुझमें.
मैं अपनी मौज में बहता रहा हूँ सूख कर भी,
ख़ुदा ही जानता है कौनसा दरिया है मुझमें.
इमारत तो बड़ी है पर कहाँ इसमें रहूँ मैं,
न हो जिसमें घुटन वो कौनसा कमरा है मुझमें.
दिलासों का कोई भी अब असर होता नहीं है,
न जाने कौन है जो चीख़ता रहता है मुझमें.
नहीं बहला सका हूँ ज़ीष्त का देकर खिलौना
कोई अहसास बच्चे की तरह रोता है मुझमें.
सभी बढ़ते हुए क्यों आ रहे हैं मेरी जानिब,
कहाँ जाता है आखि़र कौनसा रस्ता है मुझमें.

सज़ा-ए-मौत

कुछ लोग सिखाते है मुझे प्यार के क़ायदे कानून,

नही जानते वो इस गुनाह में हम सज़ा-ए-मौत के मुज़रिम हैं…….

देश का माहौल

देश का माहौल इतना बिगड़ गया है कि आमिर खान,

शाहरूख खान को तो छोड़ीये ।।

अब तो स्वयं मोदी जी भी देश मे नही रहते.