झूठ बोलते हो

जाने कितने झूले थे फाँसी पर, कितनो ने गोली खायी

थी
क्यों झूठ बोलते हो साहब , की चरखे से आजादी आई थी

न समझ भूल

न समझ भूल गया हूँ तुझे ,
तेरी खुशबू मेरे सांसो में आज भी हैं !!
मजबूरियों ने निभाने न दी मोहब्बत !
सच्चाई मेरी वाफाओ में आज भी हैं !!

एक ख़्वाब ने

एक ख़्वाब ने आँखे खोली हैं….

क्या मोड़ आया है कहानी मैं…..

वो भीग रही है बारिश मैं………..

और आग लगी है
पानी मैं……!