जाने कितने झूले थे फाँसी पर, कितनो ने गोली खायी
थी
क्यों झूठ बोलते हो साहब , की चरखे से आजादी आई थी
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जाने कितने झूले थे फाँसी पर, कितनो ने गोली खायी
थी
क्यों झूठ बोलते हो साहब , की चरखे से आजादी आई थी
I want to go to sleep at night, wake up every day,
and breathe knowing you are truly mine…
Ab tujse sikayat krna mere bas me nhi…
Tu chahat meri thi pr amanat sayad kisi or ki…!!!
Chand Se Faryad To Karta Hoga
ღWo Mujhe Zyada Nahi Par Yaad To Karta Hoga.
वो शक्स रोज देखता है डूबते हुये सूरज को
काश हम भी किसी शाम का मंजर होते
मासूमियत का कुछ ऐसा अंदाज़ था मेरे
सनम का,
उसे तस्वीर में भी देखूं तो पलकें झुका लेती थी….
बड़ी बेवफ़ा हो जाती है ग़ालिब ये घड़ी भी सर्दियों में।
पाँच मिनट और सोने की सोचो तो तीस मिनट आगे बढ़ जाती है।।
न समझ भूल गया हूँ तुझे ,
तेरी खुशबू मेरे सांसो में आज भी हैं !!
मजबूरियों ने निभाने न दी मोहब्बत !
सच्चाई मेरी वाफाओ में आज भी हैं !!
कभी उदास बेठी हो तो बताना,
हम फिर से दिल दे देंगे खेलने के लिए !!
एक ख़्वाब ने आँखे खोली हैं….
क्या मोड़ आया है कहानी मैं…..
वो भीग रही है बारिश मैं………..
और आग लगी है
पानी मैं……!