दिल की हेराफेरी संभलकर कीजिये हुजूर..
अंजाम ऐ मोहब्बत जुर्म बड़ा संगीन होता है
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
दिल की हेराफेरी संभलकर कीजिये हुजूर..
अंजाम ऐ मोहब्बत जुर्म बड़ा संगीन होता है
जिन्हे आना है वो खुद लौट आयेंगे तेरे पास ए दोस्त,बुलाने पर तो परिंदे भी गुरुर करते है अपनी उड़ान पर !!
किस जगह रख दूँ मैं तेरी याद के चराग़ को
कि रोशन भी रहूँ और हथेली भी ना जले।
मेरे मरने पर किसी को ज़यादा फर्क ना पड़ेगा..
बस एक तन्हाई रोएगी की मेरा हमसफ़र चला गया..
तमन्ना बस इतनी है अफ़सोस हो तुम्हें..
छोड़ा है तुम ने बहुत आसानी से मुझे..
ना तोल मेरी मोहब्बत अपनी दिल लगीं से,
देख कर मेरी चाहत को तराजू टूट जाते हैं
नाज़ुक मिजाज है वो परी कुछ इस कदर..
पायल जो पहनी पाँव मै तो छम-छम से डर गई..
अब वहां यादों का बिखरा हुआ मलवा ही तो है..
जिस जगह इश्क ने बुनियादे-मका रखी थी..
बेनूर सी लगती है उससे बिछड़ के जिंदगी..
अब चिराग तो जलते है मगर उजाला नहीं करते..
तरस जाओगी हमारे लबों से सुनने को एक एक लफ्ज,
जब हम प्यार की बातें तो क्या शिकायत भी नहीं करेंगे…