निकाल दिया उसने हमें,
अपनी ज़िन्दगी से भीगे कागज़ की तरह,
ना लिखने के काबिल छोड़ा, ना जलने के..!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
निकाल दिया उसने हमें,
अपनी ज़िन्दगी से भीगे कागज़ की तरह,
ना लिखने के काबिल छोड़ा, ना जलने के..!
कल मिले थे राह में, बस नज़रो से बात की,
ये वक़्त का तकाज़ा है, वो इशारा नही करते…!!!
दिल में बुराई रखने से बेहतर है
आप अपनी नाराज़गी जाहिर कर दें
अच्छा हुआ की पंछियों के मज़हब नहीं होते,
बरगद भी परेशां हो जाता, मसले सुलझाते सुलझाते।
तुम्हे देखने की तमन्ना है इस दिल में ,
तुम्हे छू सकूँ तो बड़ी बात होगी ,
उस पल के सदके मैं सब कुछ लुटा दूँ ,
जिस पल हमारी मुलाकात होगी!!!!
आँसु बहा-बहा कर भी होते नहीं हैं कम….!!
कितनी अमीर होती हैं, आँखें ग़रीब की….!!!
उसकी जब मर्जी होती है वो हम से बात करती हैं.
पर हमारा पागलपन तो देखो
हम फिर भी पूरा दिन
उसकी मर्जी का इंतजार करते हैं|
लगता है..
इस बरस मोहब्बत हो ही जायेगी मुझे..
मेने ख्वाबो में खुद को मरते हुए देखा है..
सितारों की फसलें उगा ना सका कोई
मेरी ज़मीं पे कितने ही आसमान रहे
करवट बदलने का क्या फायदा,
इस तरफ भी तुम, उस तरफ भी तुम