कहाँ मांग ली थी

कहाँ मांग ली थी कायनात मैंने,
जो इतना दर्द मिला,
ज़िन्दगी में पहली बार खुदा,
तुझसे ज़िन्दगी ही तो मांगी थी।।

रूठा रहे मुझसे वो

रूठा रहे मुझसे वो, मंजूर है, लेकिन,
उसे समझा दो कि वो मेरा शहर ना छोङे,
प्यार तो किस्मत में नहीं है शायद,
कम से कम उसका दीदार तो होता रहे।

वो दर्द ही क्या

वो दर्द ही क्या जो आँखों से बह जाए,
वो ख़ुशी ही क्या जो होठों पर रह जाए,
कभी तो समझो मेरी ख़ामोशी को,
वो बात ही क्या जो लफ्ज़ आसानी से कह जाए!

सारी उम्र आंखो मे

सारी उम्र आंखो मे एक सपना याद रहा,
सदियाँ बीत गयी पर वो लम्हा याद रहा,
ना जाने क्या बात थी उस शख्स में की हम
सारी मेहफिल भुल गये बस वह चेहरा याद रहा..!!