सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से..
पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला
Tag: Hindi Shayris
एक युग था
एक युग था आँसूओं से मैल धो लेते थे सब…
अब जरा सी बात पर खंज़र भी है, पत्थर भी है..
खूबसूरत सा रिश्ता
बड़ा खूबसूरत सा रिश्ता है तेरा और मेरा..
न तूने कभी बाँधा और न मैने कभी छोड़ा !!
गाँव में जो छोड़ आए
गाँव में जो छोड़ आए हजारों गज की हवेली,
शहर के दो कमरे के घर को तरक्की समझने लगे हैं।
खत की खुशबु
खत की खुशबु बता रही है….
लिखते वख्त उनके बाल खुले थे…
पतझड़ को भी
पतझड़ को भी तू फुर्सत से देखा कर ऐ दिल,
बिखरे हुए हर पत्ते की अपनी अलग कहानी है।
मकड़ी भी नहीं फँसती
मकड़ी भी नहीं फँसती, अपने बनाये जालों में।
जितना आदमी उलझा है, अपने बुने ख़यालों में…।।
बेहिसाब हसरतें न पालिये
बेहिसाब हसरतें न पालिये.
जो मिला है उसे संभालिये..!
कितना भी समेट लो..
कितना भी समेट लो..
हाथों से फिसलता ज़रूर है..
ये वक्त है साहब..बदलता ज़रूर है…
कुछ लोग दिखावे की
कुछ लोग दिखावे की, फ़क़त शान रखते हैं,
तलवार रखें या न रखें, म्यान रखते है!