एक युग था

एक युग था आँसूओं से मैल धो लेते थे सब…

अब जरा सी बात पर खंज़र भी है, पत्थर भी है..

पतझड़ को भी

पतझड़ को भी तू फुर्सत से देखा कर ऐ दिल,
बिखरे हुए हर पत्ते की अपनी अलग कहानी है।