कुछ देर तो हँस लेने दो मुझे….
हर पल कहाँ उसे मैं भूल पाता हूँ….
Tag: Hindi Shayris
बेवजह दीवार पर
बेवजह दीवार पर इल्जाम है बँटवारे का
लोग मुद्दतों से एक कमरे में अलग रहते हैं।
उजागर हो गई
उजागर हो गई होतीं वो करतूतें सभी काली,
ख़बर को आम होने से मगर अखबार ने रोका
याद है मुझे रात थी
याद है मुझे रात थी उस वक़्त जब शहर तुम्हारा गुजरा था फिर भी मैने ट्रेन की खिडकी खोली थी…
काश मुद्दतो बाद तुम दिख जाओ कहीं….
पत्थर की दुनिया जज़्बात नही
पत्थर की दुनिया जज़्बात नही समझती,दिल में क्या है वो बात नही समझती,तन्हा तो चाँद भी सितारों के बीच में है,पर चाँद का दर्द वो रात नही समझती
इस शहर में
इस शहर में जीने के अंदाज़ निराले हैं
होठों पे लतीफ़े हैं आवाज़ में छाले हैं|
हँसी यूँ ही नहीं आई है
हँसी यूँ ही नहीं आई है इस ख़ामोश चेहरे पर…..कई ज़ख्मों को सीने में दबाकर रख दिया हमने
उन चराग़ों में
उन चराग़ों में तेल ही कम था
क्यों गिला फिर हमें हवा से रहे|
कभी ये लगता है
कभी ये लगता है अब ख़त्म हो गया सब कुछ
कभी ये लगता है अब तक तो कुछ हुआ भी नहीं
खो गई है मंजिलें
खो गई है मंजिलें, मिट गए हैं रस्ते,
गर्दिशें ही गर्दिशें, अब है मेरे वास्ते |