मुझे मंज़ूर थे वक़्त के हर सितम मगर,
तुमसे बिछड़ जाना ये सज़ा कुछ ज्यादा हो गई…
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कठिन है तय करना
कठिन है तय करना उम्र का सफ़र तन्हा,
लौट कर न देखूँगा चल पड़ा अगर तन्हा…
दिल को शोलों से
दिल को शोलों से करती है सैराब।।
ज़िन्दगी आग भी है, पानी भी।।
मिले थे एक अजनबी बनकर….
मिले थे एक अजनबी बनकर….
आज मेरे दिल की जरूरत हो तुम|
नाराजगी गैरों से
नाराजगी गैरों से की जाती है अपनों से नहीं,
तू तो गैर था हम तो अपने दिल से नाराज़ हैं.!!
कुछ साँपों का काटा
कुछ साँपों का काटा नहीं मांगता पानी
रिश्तों को पहनना ज़रा अस्तीन झटककर …..
तेरी सूरत को
तेरी सूरत को जब से देखा है
मेरी आँखों पे लोग मरते हैं…
सोचा था छुपा लेंगे
सोचा था छुपा लेंगे अपना ग़म…
पर ये कम्बख़त “आँखे” ही दगा कर गयीं…
वक़्त ही कुछ
वक़्त ही कुछ ऐसा आ ठहरा है अब…
यादें ही नहीं होतीं याद करने के लिए…
कोई बताये की
कोई बताये की मैं इसका क्या इलाज करूँ
परेशां करता है ये दिल धड़क-धड़क के मुझे……….