गुंचे ने कहा कि इस जहाँ में बाबा
ये एक तबस्सुम भी किसे मिलता है|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
गुंचे ने कहा कि इस जहाँ में बाबा
ये एक तबस्सुम भी किसे मिलता है|
उसकी मोहब्बत भी बादलो की तरह निकली …
छायी मुझ पर और बरस किसी और पर गयी …
आईने के रूबरू क्या हुए वो चटक गया
काजल हम ने लगाया नजर आईने को लग गई|
कह दो इन हसरतों से, कही और जाकर बसे;
इतनी जगह कहाँ है, दिल ए दागदार मे….!!
जितना हूँ उससे ज़रा कम या ज्यादा न लगूँ
यानी मैं जैसा नहीं हूँ कभी वैसा न लगूँ|
जो भी मर्जी हो वो करना बस इतना सुन लो ,
पा कर खोना आसां है खो कर पाना मुश्किल है |
जो आपके अल्फाज़ों को न समझ पाये…
वो आपकी खामोशी को क्या समझेंगे……..
रोज़ करता हूँ इरादा ऐ मेरे मौला तुझको भूल जाने का,
रोज़ थोड़ा-थोड़ा खुद को भूलने लगा हूँ अब।
इसे इत्तेफाक समझो या दर्दनाक हकीकत,
आँख जब भी नम हुई, वजह कोई अपना ही निकला !!
आज तो हम खूब रुलायेंगे उन्हें,
सुना है उसे रोते हुए लिपट जाने की आदत है!