टूट कर भी

टूट कर भी कम्बख्त धड़कता रहता है…
मैने इस दुनिया मैं दिल सा कोई वफादार नहीं देखा..

एक बार भूल से

एक बार भूल से ही कहा होता की हम किसी और के भी है,
खुदा कसम हम तेरे सायें से भी दूर रहते…

बड़ी अजीब सी

बड़ी अजीब सी मोहब्बत थी तुम्हारी,,,,,पहले पागल किया,,,,,,,
फिर पागल कहा…फिर पागल समझ कर छोड़ दिया….

न वफा का जिक्र

न वफा का जिक्र होगा
न वफा की बात होगी
अब मोहब्बत जिससे भी होगी..
रुपये ठिकाने लगाने के बाद होगी..