बेटियों का बाप भी कितना मजबूर होता है,
शहर के आवारा गिद्धों का कुछ बिगाड नही सकता….
उसे अपने परियों के पंख ही कुतरने पड़ते है…!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बेटियों का बाप भी कितना मजबूर होता है,
शहर के आवारा गिद्धों का कुछ बिगाड नही सकता….
उसे अपने परियों के पंख ही कुतरने पड़ते है…!!!
बेवफा लोगो को हम से बेहतर कौन जानेगा..!
हम तो वो दीवाने हैं जिन्हे किसी की नफरत से भी प्यार था..!!
छोङ दिया उसे उसकी खुशियों की खातिर….
वरना अपनी बदनसीबी उसे भी ले डूबती…
दोस्ती नज़रों से हो तो उसे कुदरत कहते हैं,
सितारों से हो तो उसे जन्नत कहते है,
हुसन से हो तो उसे महोब्बत कहते है,
और दोस्ती आप जैसे दोस्त से हो तो उसे किस्मत कहते है,
करता नही तुमसे शिकायत ये दिल मगर,
कहना ये चाहता है कि तुम वो नही रहे !
नींद को आज भी शिकवा है
मेरी आँखों से,
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मैंने आने न दिया उसको तेरी याद से पहले….!!
अगर मिल जाती खुशी दुनिया मे आसानी से,
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तो दिल की मुलाकात कभी दर्द से ना होती….!!
तू चेहरे पर बढ़ती सिलवटों की परवाह न कर,
हम लिखेंगें तुझे अपनी शायरी में हमेशा ही जवां…!!!
MuJhe Kia Haq Ke Kisi Ko MATLABI Kahun.!
Main To Khud Apne RAB Ko Museebato’n Main
Yaad Karta Hun.
तेरी मौहब्बत से ले कर तेरे अलविदा कहने तक,
मैंने सिर्फ तुझे चाहा,
तुझ से कुछ नहीं चाहा |