ना रख उम्मीद-ए-वफ़ा किसी परिंदे से,जब पर निकल आते हैं तो अपने भी आशियाना भूल जाते हैं.
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वो अक्सर देता है मुझे
वो अक्सर देता है मुझे , परिंदों की मिसाल .साफ़ नहीं कहता के , मेरा शहर छोड़ जाओ.
जाते हुए उसने सिर्फ इतना कहा
जाते हुए उसने सिर्फ इतना कहा मुझसे..ओ पागल …अपनी ज़िंदगी जी लेना,वैसे प्यार अच्छा करते हो.
हमारी कद्र उनको होगी तन्हाईयो
हमारी कद्र उनको होगी तन्हाईयो में एक दिन, अभी तो बहुत लोग हैं उनके पास दिल्लगी करने को.
हम तो जल गये उसकी मोहब्बत में
हम तो जल गये उसकी मोहब्बत में मोमकी तरह, अगर फिर भी वो हमें बेवफा कहे…तो उसकी वफ़ा को सलाम.
उठाकर फूल की पत्ती उसने
उठाकर फूल की पत्ती उसने बङी नजाकत से मसल दी,इशारो इशारो मेँ कह दिया की हम दिल का ये हाल करते है.
तेरी मोहब्बत भी किराये के घर
तेरी मोहब्बत भी किराये के घर की तरह थी,कितना भी सजाया पर मेरी नहीं हुई .
उससे दुरी बनाये रखता भी तो कैसे रखता
उससे दुरी बनाये रखता भी तो कैसे रखता,
ए दोस्त…
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मैं जन्मजात चरसी और वो, गोल्डफ्लैक
सी लड़की.
बड़ा ही खामोश सा
बड़ा ही खामोश सा अँदाज है तुम्हारा…..
?
समझ नही आता फिदा हो जाऊँ या फनाह हो जाऊँ…..
~❤?
पहेले लोग बाल्कनी में आने
पहेले लोग बाल्कनी में आने की राह देखते थे, अब ” on line ” आने की देखते है ? !! रिश्ता वही सोच नई