अजीब शख्स हूँ मैं, अजीब मिज़ाज़ में रहता हूँ..
…
कर देता हूँ खुश सबको पर खुद उदास रहता हूँ ।
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दर्द जब भी हुवा
दर्द जब भी हुवा इस क़दर हुआ..
के जेसे फिर कभी होना ही नहीं..!”
उसके क़दमों में
उसके क़दमों में बिछा दूं आँखें..
मेरी बस्ती से गुज़रे तो सही..!
ये ना समझ
ये ना समझ तेरे आसरे हूँ..
…
इश्क़ की दुनिया का बाल ठाकरे हूँ ।
क्या हूआ अगर
क्या हूआ अगर लोग मेरे बारे मे गलत बात करते है,
ये वो ही लोग है,जो कभी मेरी जान हुआ करते थे !!
यूँ बिन कुछ
यूँ बिन कुछ कहे..
सब कुछ कह देना,
तेरा ये हुनर…
सबसे जुदा है ।।
हम उल्फ़त के बंदे
नहीं दैर-ओ-हरम से काम, हम उल्फ़त के बंदे हैं
वही काबा है अपना, आरज़ू दिल की जहाँ निकले
आँखो के नीचे
आँखो के नीचे.. ये काले निशान.. सबूत है…
राते..खर्च की है..मैने तुम्हारे लिये…!!
अजीब मुकाम पे ठहरा
जीब मुकाम पे ठहरा हुआ है काफिला जिंदगी का,
सुकून ढूंढने चले थे,नींद ही गवा बैठे..
इश्क़ वो है
इश्क़ वो है,
जब मैं शाम होने पर मिलने का वादा करूँ,
और वो दिन भर सूरज के होने का अफ़सोस करे…..