Tum Khud Ko
Samajhte Ho Na Jaane Kya
Kya. .Hum Bhi Kuch Nahin
Samajhte Tumhein
Zindagi Ke Siwa…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
Tum Khud Ko
Samajhte Ho Na Jaane Kya
Kya. .Hum Bhi Kuch Nahin
Samajhte Tumhein
Zindagi Ke Siwa…
गुज़र जायेगी ये ज़िन्दगी उसके
बगैर भी..
…
वो हसरत-ऐ-ज़िन्दगी है, शर्त-ऐ-ज़िन्दगी तो नहीं ।
तू याद रख या ना रख,
तू
ही याद हे, ये याद रख….
दिखावे की मोहब्बत से बेहतर है दिल से नफरत
किजिये हमसे…
हम सच्चे जज्बातो की बडी कदर करते हैं
रात के गुल्लक में…
तुम्हारे….
ख्वाबो के सिक्के….
जमा करता हूं …!!
होगी कितनी चाहत
उस दिल मे…जो खुद ही मान
जाये, कुछ पल खफा होने के बाद…!!!
फोड़ देती है अपना
गुल्लक भी भाई की खुशियों के लिये
भगवान के अलावा बहनें भी मनोकामना पूर्ण करती है
जरा सम्भल के रहना
उन इंसानो से दोस्तों…
जिन के दिल मे भी
दिमाग होता है…!!
तेरे बग़ैर इश्क़ हो तो
कैसे हो
इबादत के लिए ख़ुदा भी तो ज़रूरी होता है…..
गले से
उन को लगाया तो बुरा मान गये!
यूँ नाम ले के बुलाया तो बुरा मान गये!
ये हक़ उसी ने दिया
था कभी मुज को लेकिन;
जो आज प्यार जताया तो बुरा मान गये!
जो मुद्द्तों से मेरी नींद
चुरा बैठे है;
में उस के ख्वाब में आया तो बुरा मान गये!
जब कभी साथ में होते थे, गुनगुनाते
थे;
आज वो गीत सुनाया तो बुरा मान गये!
हंमेशा खुद ही निगाहों से वार करते थे;
जो तीर
हम ने चलाया तो बुरा मान गये!