मेरी मुस्कान पर

लोग जलते रहे मेरी मुस्कान पर;

मैंने दर्द की अपने नुमाईश न की;

जब जहाँ जो मिला,
अपना लिया – जो न मिला,
उसकी ख्वाहिश न की…!!!

भरे बाज़ार से

भरे बाज़ार से अक्सर मैं खाली हाथ लौट आता हूँ..
पहले पैसे नहीं हुआ करते थे, अब ख्वाहिशें नहीं रहीं….

न समझ भूल

न समझ भूल गया हूँ तुझे ,
तेरी खुशबू मेरे सांसो में आज भी हैं !!
मजबूरियों ने निभाने न दी मोहब्बत !
सच्चाई मेरी वाफाओ में आज भी हैं !!