आसमां तेरा मेरा हुआ
सांस की तरहां रुआ रुआ
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
आसमां तेरा मेरा हुआ
सांस की तरहां रुआ रुआ
माना की आज इतना वजुद नही हे मेरा पर…
बस उस दिन कोई पहचान मत निकाल लेना जब मे कुछ बन जाऊ…
लगने दो आज महफिल ….
शायरी कि जुँबा में बहते है ….
.
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तुम ऊठा लो किताब गालिब कि ….
हम अपना हाल ए दिल कहते है .
शिकवा तो बहुत है मगर शिकायत नहीं कर सकते
मेरे होठों को इज़ाज़त नहीं तेरे खिलाफ बोलने की
कहाँ तलाश करोगे तुम दिल हम जैसा..,
जो तुम्हारी बेरुखी भी सहे और प्यार
भी करे…!!
शिकायत तुम्हे वक्त से नहीं खुद से होगी,
कि मुहब्बत सामने थी, और तुम दुनिया में उलझी रही.
दिल की बातें दूसरों से मत कहो लुट जाओगे
आज कल इज़हार के धंधे में है घाटा बहुत |
रात होते ही,
तेरे ख़यालों की सुबह हो जाती है
तू वैसी ही है जैसा मैं चाहता हूँ…
बस..
मुझे वैसा बना दे जैसा तू चाहती है…..
धीरे धीरे बहुत कुछ बदल रहा है…
लोग भी…रिश्ते भी…और कभी कभी हम खुद भी….