कल रात मैने भीअपने दिल से रिश्ता तोड दिया पागल तेरे को भूल जाने की सलाह दे रहा था|
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आदमी के शब्द
आदमी के शब्द नही बोलते….! उसका वक्त बोलता हे…!!
जरूरी नहीं हर बात पर
जरूरी नहीं हर बात पर तुम मेरा कहा मानों.. दहलीज पर रख दी है चाहत, आगे तुम जानो….
लोग परेशान हो जाते हैं
जब जब लोग परेशान हो जाते हैं, तो काफी हद तक इंसान हो जाते हैं..!
घोंसला बनाने में
घोंसला बनाने में यूँ मशग़ूल हो गए, उड़ने को पंख हैं हम ये भी भूल गए…!!
हमने सोचा था
हमने सोचा था छोटी सी खरोंच होगी बेवफ़ाई कि मेरे दिल में तो बहोत काम रफ़ु का निकला
ठान लिया था
ठान लिया था कि अब और शायरी नही लिखेंगे पर उनका पल्लू गिरा देखा और अल्फ़ाज़ बग़ावत कर बैठे..!!
सामने आये मेरे
सामने आये मेरे,देखा मुझे,बात भी की मुस्कराए भी,पुरानी किसी पहचान की ख़ातिर कल का अख़बार था,बस देख लिया,रख भी दिया।
टूट ही न जाए
कलम रूठ के टूट ही न जाए, आज मुझसे………..!! अपनी बेबसी का जोर, इस्पे निकल रहा हूँ मैं…….!!
पागलपन की हद
पागलपन की हद से न गुजरे तो प्यार कैसा. .? होश मे तो रिश्ते निभाए जाते है|