खेल जब दोबारा शुरु होगा तो मोहरे हम वही से उठाएगें जहॉ इस वकत थरे है!
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तेरे लबों का हुक्म
यूँ तेरा नाम दुनिया पूछती रहती है मुझ से पर …. लबों पर आज भी तेरे लबों का हुक्म बैठा है…!
फ़क़त बातें अंधेरों की
फ़क़त बातें अंधेरों की , महज़ किस्से उजालों के.. चिराग़-ए-आरज़ू ले कर , ना तुम निकले ना हम निकले..
बडी कश्मकश है
बडी कश्मकश है मौला थोडी रहमत कर दे.. या तो ख्वाब न दिखा, या उसे मुकम्मल कर दे|
एक ख्वाब ही था
एक ख्वाब ही था जिसने साथ ना छोड़ा … हकीकत तो बदलती रही हालात के साथ…..
बलखाने दे अपनी जुल्फों को
बलखाने दे अपनी जुल्फों को हवाओं में जूड़े बांधकर तू मौसम को परेशां न कर !!!
तकिये के नीचे
तकिये के नीचे दबा के रखे है तुम्हारे ख़याल, एक तस्वीर, बेपनाह इश्क और बहुत सारे साल.!
इंसान को बोलना
इंसान को बोलना सीखने में दो साल लगते हैं, लेकिन कोनसा लफ्ज़ कहाँ बोलना है, ये सीखने में पूरी ज़िन्दगी गुजर जाती है
आदमी के शब्द नही
आदमी के शब्द नही बोलते….! उसका वक्त बोलता हे…!!
मुझे मालूम है
मुझे मालूम है मेरी किस्मत में नहीं हो तुम लेकिन ..। मेरे मुकद्दर से छुपकर मेरे एक बार हो जाओ ..।