किसी और का हाथ कैसे थाम लूँ..
तू तन्हा मिल गई तो क्या जवाब दूँगा..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
किसी और का हाथ कैसे थाम लूँ..
तू तन्हा मिल गई तो क्या जवाब दूँगा..
बहुत सोचना पड़ता है अब मुँह खोलने से पहले,,
क्यूंकि अब दुनियाँ दिल से नहीं दिमाग से रिश्ते निभाती है …!!
मेरी जिन्दगी को अधूरा कर दिया ।
वाह रे मोहब्बत तुने अपना काम पूरा कर दिया।
तुम ठीक तो हो ना…आज फिर बायीं आँख फड़क रही है मेरी..
तन्हा सा हो गया हूँ तेरे शहर में
बे सुध सा हो गया हूँ तेरे शहर में
लोगो की भीड़ में तुझको खोजता
मैं खुद ही खो गया हूँ तेरे शहर में दर्पण
देखकर हैरान हूं आईने का जिगर..!
एक तो कातिल सी नजर उस पर काजल का कहर
तू कितनी भी खूबसूरत क्यूँ ना हो ए ज़िंदगी,
खुशमिजाज़ दोस्तों के बगैर तू अच्छी नहीं लगती।
नौकरी की चाहत में दिन भर जाने भटका होगा कैसे
जिसके बटवे में रखने को कम गिनने को ज्यादा हैं
कुछ तो ऐसा भी करो कि प्यार उमडे बुजुर्गों में।
करनी सही न हुई तो मांगने से दुआ कोई नहीं देगा।।
पिला दे आज सारे मैखाने की शराब की बोतल ए साकी अगर ग़म-ए-यार भूल गया तो तेरा मैखाना ही खरीद लूंगा |