देखी है बेरुखी की… आज हम ने इन्तेहाँ,
हमपे नजर पड़ी तो वो महफ़िल से उठ गए.।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
देखी है बेरुखी की… आज हम ने इन्तेहाँ,
हमपे नजर पड़ी तो वो महफ़िल से उठ गए.।
हुस्न वाले जब तोड़ते हैं दिल किसी का..!
बड़ी सादगी से कहते है मजबूर थे हम..!!
हमारे बगैर भी आबाद थीं महफिलें उनकी.
और हम समझते थे कि उनकी रौनकें हम से है…..!!!!
प्यार करता हूँ मैं तुमसे,
खुद से ज्यादा, हद से ज्यादा..
वो चीज़ जिसे दिल केहते हैं…
हम भुल गये हैं, रख के कहीं…
दो चार नहीं मुझे सिर्फ एक दिखा दो……
वो शख्स जो अन्दर भी बाहर जैसा हो
आज खुद को इतना तनहा पाया हमने,
जेसे लोग दफना के चले गए हो..!!
जो करते है मोहब्बत सूरत देखकर,
वो करते है वफ़ा जरूरत देखकर !!
मेरे न हो सको तो कुछ ऐसा कर दो,
मैं जैसा था मुझे फिर से वैसा कर दो !!
प्यार अगर सच्चा हो तो कभी नहीं बदलता,
ना वक्त के साथ ना हालात के साथ।