नब्ज़ में नुकसान बह रहा है
लगता है दिल में
इश्क़
पल रहा है…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
नब्ज़ में नुकसान बह रहा है
लगता है दिल में
इश्क़
पल रहा है…!!
आँखों से पिघल कर गिरने लगी हैं
तमाम ख़्वाहिशें
कोई समंदर से जाकर कह दे
कि आके समेट ले इस दरिया को…!!
इस सलीक़े से मुझे क़त्ल किया है उसने,
अब भी दुनिया ये समझती है की ज़िंदा हूँ मैं….!!
अपने दिल से मिटा ड़ाली तेरे साथ की सारी तस्वीरें
आने लगी जो ख़ुशबू तेरे ज़िस्मों-जां से किसी और की…!!
हम समंदर भर भी रोये तो भी जिंदा थे…
क़त्ल तो उस बूँद से हुए जो उनकी आँखों से बह गयी…
मेरी मुहब्बत अक्सर ये सवाल करती है…
जिनके दिल ही नहीं उनसे ही दिल लगाते क्यूँ हो…
मज़ा आता अगर
गुजरी हुई बातों का अफ्साना,
कहीं से तुम बयां करते,
कहीं से हम बयां करते।।
ताउम्र उल्फ़तें और वो छोटी सी आशिक़ी…
मरने का तरीक़ा है ये ज़िंदा रहने की हसरतें…
दर्द लिखते रहे….आह भरते रहे
लोग पढ़ते रहे….वाह करते रहे।
लगती थी शायरो की महफ़िल जहा
सुना है वो जगह अब सुनसान होगयी