मुझे इंसान को

मुझे इंसान को पहचानने की ताकत दो तुम….
या फिर मुझमें इतनी अच्छाई भरदो की….
किसी की बुराई नजर ही ना आये..

वो फूल हूँ

वो फूल हूँ जो अपने चमन में न रहा,
वो लफ्ज़ हूँ जो शेरों सुख़न में न रहा,
कल पलकों पे बिठाया, नज़र से गिराया आज,
जैसे वो नोट हूँ जो चलन में न रहा।

जिन्दगी ने दिया

जिन्दगी ने दिया सब कुछ पर वफा ना दी
जख्म दिये सब ने पर किसी ने दवा ना दी
हमने तो सब को अपना माना
पर किसी ने हमे अपनो में जगह ना दी |

उस तीर से

उस तीर से क्या शिकवा, जो सीने में चुभ गया,

लोग इधर हंसते हंसते, नज़रों से वार करते हैं।