उलझते-सुलझते हुए ज़िन्दगी के ये लम्हें……
और खुशबू बिखेरता हुआ …तेरा महकता सा ख़्याल|
Tag: Hindi Shayri
कितने मज़बूर हैं
कितने मज़बूर हैं हम तकदीर के हाथो,
ना तुम्हे पाने की औकात रखतेँ हैँ, और ना तुम्हे खोने का हौसला|
सोचा था उस से
सोचा था उस से बिछडेंगे तो मर जायेंगे हम
जानलेवा खौफ था बस, हुआ कुछ भी नही|
जिस को भी देखा
जिस को भी देखा उसे मुखलिस ही पाया
बहुत फरेब दिया है मेरी निगाह ने मुझे|
इस कदर भूखा हूँ
इस कदर भूखा हूँ साहब,
कभी कभी धोखा भी खा लेता हूँ!
नाम बदनाम होने की
नाम बदनाम होने की चिंता छोड़ दी मैंने…
अब जब गुनाह होगा, तो मशहुर भी तो होगे…!
ग़ैरों से मतलब नहीं
ग़ैरों से मतलब नहीं, ख़ुद का ही है ध्यान।
अपने-अपने स्वार्थ में, मस्त सभी इंसान।।
दूर – दूर रहते सभी, कोई यहाँ न पास।
बोली में अलगाव है, चेहरे पड़े उदास।।
आखिर कैसे भुला दे
आखिर कैसे भुला दे हम उन्हें….!
मौत इंसानो को आती है यादो को नहीं……
जिन्दगी तो हर दम
जिन्दगी तो हर दम बरबाद करता है ये दिल,
ये बेचारी जान तो ख़ामखां मारी जाती है।।
काश महोब्बत् मे
काश महोब्बत् मे चुनाव होते,
गजब का भाषण देते तुम्हे पाने के लिये