ज़ख़्म दे कर ना पूछा करो, दर्द की शिद्दत,
दर्द तो दर्द होता हैं, थोड़ा क्या, ज्यादा क्या !!
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मत तोल मोहब्बत मेरी
मत तोल मोहब्बत मेरी अपनी दिल्लगी से….
चाहत देखकर मेरी अक्सर तराज़ू टूट जाते है
अब हर कोई
अब हर कोई हमें आपका आशिक़ कह के बुलाता है
इश्क़ नहीं न सही मुझे मेरा वजूद तो वापिस कीजिए ।
वो धागा ही था
वो धागा ही था जिसने छिपकर पूरा जीवन मोतियों को दे दिया…
और ये मोती अपनी तारीफ पर इतराते रहे उम्र भर…।
किसे मालूम था
किसे मालूम था इश्क इस क़दर लाचार करता है,
दिल उसे जानता है बेवफा मगर प्यार करता है…
वो जान गयी थी
वो जान गयी थी हमें दर्द में मुस्कराने की आदत हैं
वो नया जख्म दे गई मेरी ख़ुशी के लिए…
बड़ी अजीब सी
बड़ी अजीब सी मोहब्बत थी उन्की …..!पहले पागल किया,फिर पागल कहा, फिर पागल समझ कर छोड़ दिया….!!
धोखा देती है
धोखा देती है शरीफ चेहरोंकी चमक अक्सर..!!
हर कांच का टूकड़ा हीरा नहीं होता..!!..
दरों दीवार से
दरों दीवार से भी कोई बुलाता है मुझे
तन्हाई बता मुझे मैं जाऊँ तो किधर जाऊँ…
उनको तो फुरसत नहीं..
उनको तो फुरसत नहीं..
दीवारो तुम ही बात करो..