अब और ना मुझको

अब और ना मुझको तू उन पुराने किये हुए मेरे फिज़ूल से वादों का हवाला दे
बंद कर बक्से में तेरी यादों को कर सकूँ काम अपने, तू बस ऐसा मज़बूत सा ताला दे|

वो शातिर है

वो शातिर है जानता है आदमी की जरूरतें क्या क्या हैं,
सफ़ेद कुर्ते की इक जेब में रोटी तो दूसरी में रम रखता है ।