दर्द ओढ़ता हूँ

दर्द ओढ़ता हूँ तेरे और यादें बिछाता हूँ अकेला अब भी नहीं तेरे जाने के बाद…..

हम भी कैसे दिवाने निकले….

हम भी कैसे दिवाने निकले….. ए ज़िंदगी हम तुम्हें मनाने निकले….

मुमकिन हुआ तो

मुमकिन हुआ तो तुम्हे माफ करूँगा मैं… फिलहाल तो तेरे आंसुओ का मुन्तज़िर हूँ…

पहले तो अपने दिल की

पहले तो अपने दिल की रजा जान जाइये फिर जो निगाहे यार कहे मान जाइये कुछ कह रही है आप की सीने की धड़कने, मेरी सुनिये तो दिल का कहा मान जाइये एक धुप सी जमी है आखो के आस पास आप है तो आप पर कुर्बान जाइये।

यादों की हवा

यादों की हवा चल रही है, शायद आँसुओं की बरसात होगी .

मुनासीब हो तो

मुनासीब हो तो बात कर लिया करो यार… वरना हमें तो पता ही है अजीज नहीं हम तेरे

सिर्फ वक्त ही

सिर्फ वक्त ही गुजारना हो तो किसी और को आजमा लेना, हम तो चाहत और दोस्ती दोनों इबादत की तरह करते है|

निकाल दिया उसने

निकाल दिया उसने हमें अपनी ज़िन्दगी से भीगे कागज़ की तरह, ना लिखने के काबिल छोड़ा, ना जलने के |

ज़रा अल्फ़ाज़ के

ज़रा अल्फ़ाज़ के नाख़ून तराशों बहुत चुभते है……. जब नाराज़गी से बातें करती हो….!!

आओ मिलकर ढूंढ ले

आओ मिलकर ढूंढ ले वजह, फिर से एक हो जाने की.. यूँ एक-दूसरे से बिछड़कर, ना तुम अच्छे लगते हो और ना हम..

Exit mobile version