इसे इत्तेफाक समझो या दर्दनाक हकीकत,
आँख जब भी नम हुई, वजह कोई अपना ही निकला !!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इसे इत्तेफाक समझो या दर्दनाक हकीकत,
आँख जब भी नम हुई, वजह कोई अपना ही निकला !!
आज तो हम खूब रुलायेंगे उन्हें,
सुना है उसे रोते हुए लिपट जाने की आदत है!
वक़्त की शाख़ से कुछ लम्हें तोड़ लो ख़ुद को
वर्ना पछताने के सिवा और न कुछ हासिल होगा
कंही पर बिखरी हुई बातें कंही पर टूटे हुए वादे,
ज़िन्दगी बता क्या तेरी रज़ा है और क्या तेरे इरादे…
ना हूरों की तमन्ना है और न मैं परियो पे मरता हूँ…
वो एक भोली सी लड़की है मैं जिसे प्यार करता हूँ!
अच्छा हुआ कि तूने हमें तोड़ कर रख दिया,
घमण्ड भी तो बहुत था हमें तेरे होने का …..
छा जाती है खामोशी अगर गुनाह अपने हों..!!
बात दूसरे की हो तो शोर बहुत होता है….!!
जब सवालो के जवाब मिलना बंद हो जाए
तो समझ लो एक मोड़ लेना हैं रास्ते और रिश्ते में।।
जो जले थे हमारे लिऐ,
बुझ रहे है वो सारे दिये,
कुछ अंधेरों की थी साजिशें,
कुछ उजालों ने धोखे दिये..
जिदंगी गुजर ही जाती है, तकलीफें कितनी भी हो;
मौत भी रोकी नही जाती, चाहें तरकीबें कितनी भी हो ।