ज़ख़्म दे कर

ज़ख़्म दे कर ना पूछा करो, दर्द की शिद्दत,
दर्द तो दर्द होता हैं, थोड़ा क्या, ज्यादा क्या

टूट कर भी

टूट कर भी कम्बख्त धड़कता रहता है…
मैने इस दुनिया मैं दिल सा कोई वफादार नहीं देखा..

एक बार भूल से

एक बार भूल से ही कहा होता की हम किसी और के भी है,
खुदा कसम हम तेरे सायें से भी दूर रहते…

बड़ी अजीब सी

बड़ी अजीब सी मोहब्बत थी तुम्हारी,,,,,पहले पागल किया,,,,,,,
फिर पागल कहा…फिर पागल समझ कर छोड़ दिया….