लोग कहते हैं

लोग कहते हैं कि समझो तो खामोशियां भी बोलती हैं,

मैं अरसे से खामोश हूं और वो बरसों से बेखबर है…

सिखा दिया

सिखा दिया ‘तुने’ मुझे… अपनों पर भी ‘शक’ करना..
मेरी ‘फितरत’ में तो था… गैरों पर भी ‘भरोसा’ करना!!

एक दिन हम

एक दिन हम मिलेंगे सूखे गुलाबों में,
बारिश की बूंदों में, कलम में, किताबों में ।।