यूँ ही नही आता ये शेर-ओ-शायरी का हुनर,
कुछ खुशियाँ गिरवी रखकर जिंदगी से दर्द खरीदा है।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
यूँ ही नही आता ये शेर-ओ-शायरी का हुनर,
कुछ खुशियाँ गिरवी रखकर जिंदगी से दर्द खरीदा है।
बस एक बार इस दर्द ऐ दिल को खत्म कर दो…
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“मैं वादा करता हूँ फिर कभी मोहब्बत नहीं करूंगा…
वाह रे इश्क़ तेरी मासूमियत का जवाव नहीं
हँसा हँसा कर करता है बर्बाद तू मासूम लोगो को
सबसे आसान कामों में से एक है हिन्दू और मुसलमान बन जाना !
सबसे मुश्किल कामों में से एक है एक अच्छा और नेक दिल इंसान बन जाना!!
सुनो…..!!
कुछ ऐसे सिमट जाओ मुझमे…
जैसे ब्लैक एंड व्हाईट टीवी के एंटीने से पतंग उलझी रहती है…..!!
कहने को ही मैं अकेला हूं..
वैसे हम चार है..
एक मैं..मेरी परछाई..
मेरी तन्हाई.. और कुछ एहसास…
हैं दफ्न मुझमें मेरी कितनी रौनकें, मत पूँछ मुझसे….!!
उजड़ – उजड़ के जो बसता रहा, वो शहर हूँ मैं…
बांध लूँ हाथों पे, सीने पे सजा लूँ तुमको,
….
जी में आता है, अब तावीज़ बना लूँ तुमको !!!
सांसों के सिलसिले को ना दो ज़िन्दगी का नाम…
जीने के बावजूद भी, मर जाते हैं कुछ लोग !
आज लफ्जों को मैने शाम को पीने पे बुलाया है
बन गयी बात तो ग़ज़ल भी हो सकती है