बहुत आसाँ हैं आदमी का क़त्ल मेरे मुल्क में,
सियासी रंजिश का नाम लेकर घर जला डालो…..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बहुत आसाँ हैं आदमी का क़त्ल मेरे मुल्क में,
सियासी रंजिश का नाम लेकर घर जला डालो…..
किसी रंजिश को हवा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी,
मुझको एहसास दिला दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी!
न रूठना हमसे हम मर जायेंगे!
दिल की दुनिया तबाह कर जायेंगे!
प्यार किया है हमने कोई मजाक नहीं!
दिल की धड़कन तेरे नाम कर जायेंगे!
अगर चाहुँ तो एक पल में तुम्हें भुला दुँ…
पर चाहने से क्या होता है, चाहता तो “मैं” तुम्हे भी बहुत था..!!
मेरी ख़ामोशी की ख्वाहिश भी तुम,
मेरी मोहब्बत की रंजिश भी तुम….
रंजिश हो दिल में तो…
खुल के गिला करो….
सिसकना,भटकना,और फिर थम जाना….
बहुत तकलीफ देता है, खुद ही संभल जाना…
किस्सा बना दिया एक झटके में उसने मुझे,
जो कल तक मुझे अपना हिस्सा बताता था !!
भूलना भुलाना दिमाग़ का काम है साहिब….
आप दिल में रहते हो….बेफिक्र हो जाओ….!!
निभाते नही है..लोग आजकल..!
वरना..
इंसानियत से बड़ा रिश्ता कौन सा है..